शुक्रवार, 19 दिसंबर 2008

पवित्र प्रेम...

" बादल का एक शफ्फाक तुकड़ा बन
वे मेरी जिंदगी में आएँ....

चंद बूंदे प्यार की बरसाकर
उन्होंने कहाँ लो ये तुम्हारे लिए हैं....

फिर जैसे आएँ थे
वैसे ही चले गए....

उन्हें क्या पता ये बूंदे मेरी आँखों में रहती हैं
चाहे जब बिन बदली बरसती हैं।।
"

6 टिप्‍पणियां:

  1. kitna sundar likha hai..

    उन्हें क्या पता ये बूंदे मेरी आँखों में रहती हैं
    चाहे जब बिन बदली बरसती हैं।।"

    padkar man bheeg gaya ..kabhi choti choti baaten kitna kuch kah jaati hai ..

    aapko badhai ..

    pls read my blog for new poems .

    vijay

    http://poemsofvijay.blogspot.com/

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  2. बहुत खूबसूरत कहा है, लाजवाब,
    उम्दा सोच से पैदा हुयी शायरी

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  3. बहुत सुन्दर ब्लाग अभिकल्प के साथ सुन्दर कविता

    --------------------------------
    http://prajapativinay.blogspot.com

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  4. bahut sundar blog hai aapaka. yah kavita bhi sundar hai. badhai aapako.

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