मंगलवार, 16 दिसंबर 2008
कुछ अहसास...
" कुछ अहसास ओस की बूंदो के जैसे
करते है रुह को ताजा ...
कुछ अहसास ठंडी हवा की तरह
देते हैं मन की अगन को सुकून...
कुछ अहसास भीगे होठों की तरह
भरते हैं बंजर जमी में नमी...
कुछ अहसास प्रेम की बूँदों के जैसे
आंखों से बहने से पहले संभल जाते हैं...
गिर के जमी पर होगी उनकी रुसवाई
इसलिए आँखों में इन मोतियों को छुपा लेती हूँ।।"
(इन अहसासों को मन के कंदराओं में कहीं छिपा कर रखा है..लेकिन लाख छिपाने के बाद भी ये अहसास मेरे चेहरे की मुस्कुराहट में झलक जाते हैं...)
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एहसास की सुंदर दास्ताँ है आपकी नज़्म
जवाब देंहटाएंएहसास की खुशबू से
महकता है मन
तेरे एहसास का कम्बल लिपटे
दहकता है मन
bahut achchha likha hai aapane.
जवाब देंहटाएंlikhati rahen.
हम आपके आभारी है , और आपके सुझाव , छत्तीसगढ के विकास में सहायक बने इसी आशा के साथ , हमें अपने सुझाव भेजते रहे.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
cg4bhadas.com
http://www.cg4bhadas.blogspot.com
संपादक
हम आपके आभारी है , और आपके सुझाव , छत्तीसगढ के विकास में सहायक बने इसी आशा के साथ , हमें अपने सुझाव भेजते रहे.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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संपादक
nice...
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